Sunday, May 10, 2020

कोरोना, मोदी और उम्मीदें

त्वरित उठाये गए कदम :

कोरोना का पहला मरीज ३० जनवरी को मिला था और उसी समय से केंद्र सरकार ने चीन से आने वाले सभी लोगो को स्क्रीनिंग करना शुरू कर दिया था, एक एक की स्क्रीनिंग और उन्हें घर पर रहने की सलाह दे के जाने दिया जा रहा था लेकिन किसे पता था किसी और तरफ से भी आ सकता है और ऐसा ही हुआ, ये आया और फैलना शुरू हुआ तो सरकार ने सब जगह से आने वाले लोगो की स्क्रीनिंग शुरू की , मार्च आते आते ये ३ तक पहुंच गया और मार्च खत्म होते होते ये १३०० करीब हो गया |

     मोदी जी ने होली के बाद जनता कर्फ्यू और उसके बाद २१ दिन तक के लिए कर्फ्यू और बढ़ा दिया क्योंकि कोरोना रुकने का नाम नहीं ले रहा था, और इन बीच देश के लिए कई जरूरी कदम मोदी जी ने उठाये जैसे -




१. १ लाख ७० हजार करोड़ रुपये गरीबो के लिए दिए (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत )
२. १५००० करोड़ और दिए थे प्रदेश सरकारों को कोरोना से लड़ने के लिए
३. किसानों, मनरेगा मजदूरों, गरीब विधवाओं, पेंशनरों और विकलांगों, जन धन योजना खातों वाली महिलाओं, उज्जवला योजना के तहत महिला लाभार्थियों, महिला स्व-सहायता समूहों, संगठित क्षेत्र के श्रमिकों, निर्माणों को सीधे लाभ हस्तांतरण पर आधारित नकद हस्तांतरण श्रमिकों, जिला खनिज निधि।
४. 2020-21 के लिए PM-KISAN की पहली किस्त, जो कि PM 2,000 है, अप्रैल में ही दी जाएगी। लगभग 8.69 करोड़ किसानों को तत्काल लाभ दिया गया |
५. मनरेगा मजदूरों की मजदूरी रुपये से बढ़ा दी गई है। 182 से ₹ 202 प्रति दिन। इससे 5 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे और इसके परिणामस्वरूप प्रति श्रमिक को अतिरिक्त 2,000 दिए जाएंगे। इस अवधि के दौरान MGNREGA कार्यकलापों में सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन किया जाना तय किया गया |
६. गरीब पेंशनरों, विधवाओं और विकलांगों के लिए, सरकार अगले तीन महीनों में दो किस्तों में  1,000 रुपये  की एक बार की राशि देगी। 60 साल से ऊपर के 3 करोड़ गरीब लोगों, विधवाओं और विकलांगों को भी इसका लाभ मिलेगा |
७. जन धन योजना वाली 20 करोड़ महिलाओं के लिए, अगले तीन महीनों के लिए प्रति माह 500 रुपये  की एक पूर्व राशि दी जाएगी, ताकि वे अपने घरों के मामलों को चला सकें।
८. उज्जवला योजना के लाभार्थियों के लिए जिन्हें मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया था, सरकार तीन महीने के लिए मुफ्त गैस सिलेंडर देगी। इसका लाभ 8.3 करोड़ बीपीएल परिवारों को मिलना शुरू भी हो चूका है |
९. संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए, केंद्र अगले तीन महीनों के लिए नियोक्ता और कर्मचारी (कुल 24%) दोनों के ईपीएफ योगदान का भुगतान करेगा। यह 100 कर्मचारियों तक के प्रतिष्ठानों के लिए है, जिनमें से 90% प्रति माह 15,000 रुपये से कम कमाते हैं।
१०. वित्त मंत्री ने कहा कि वह राज्य सरकारों से मेडिकल स्क्रीनिंग, परीक्षण और उपचार के लिए जिला खनिज निधि के तहत उपलब्ध धन का उपयोग करने के लिए कहा गया ।
११. आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती करते हुए ४.४ %
१२. चीन से जो कम्पनी निकलना चाहती है ऐसी १००० कम्पनियों  से बातचीत चल रही है जो आने वाले समय में काफी रोजगार देगा |
१३. पीपीई किट जो हमारे यहाँ बनती नहीं थी वो आज २ लाख प्रतिदिन बन रहा है


ट्रैन कोच  वेंटीलेटर 

१४. वेंटीलेटर की कमी न हो और कही भी पहुंच सके  आसानी से उसके लिए केंद्र सरकार  ने ट्रेनों में वेंटीलेटर बनाना शुरू कर दिया है और २.२२ लाख वेंटीलेटर तैयार भी हो चूका है ट्रैन के कोचों  में








COVID-19 cases in India


     इस बीच  उन्होंने ये भी निश्चित किया की जरूरी सामान खाने पीने और दवाइयों की कमी न होने पाए उसके लिए मालगाड़ी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है और साथ में ये भी निश्चित किया जा रहा है विदेशो में फसे लोगो को कैसे यहाँ लाया जाये, केंद्र सर्कार ने रोज हेल्थ बुलेटिन जारी करना और कोरोना मरीजों की जानकारी और सुझाव देना शुरू किया,  पिछले १५ दिनों के आंकड़े  और इनके बिच लॉक डाउन पहला हुआ २१ दिन के लिए (२५ मार्च से १४ अप्रैल) दूसरा हुआ १८ दिन के लिए ( १५ अप्रैल से ३ मई ) और तीसरा जो अभी चल रहा है ४ मई से १७ मई...


 भारत में कोरोना बढ़ने के कई कारण  है जिस पर ध्यान रहते अगर काम किया गया होता तो शायद ये इतना अभी नहीं फ़ैल पाया
 १. शाहीन बैग जैसे जगह पर प्रदर्शन करने वाले लोगो को फरवरी में ही अगर हटा दिया गया होता देश के हर जगह से  शायद इसे रोकने में कमी आती
२. जब दिल्ली पुलिस को पता लग गया था मौलाना साद के मस्जिद में हजारो लोग है तो उन्हें पहले क्यों नहीं अपने  उचित जगह पर जाने या पहुंचाने में मदद की और केंद्र/ राज्य सरकार क नाक के नीचे इतना बड़ा जलसा कैसे चलता रहा इसको रोकने में नाकामयाब रही जो कोरोना के बढ़ने में सबसे बड़ा कारण  हो सकता है अगर आँकडा सामने आये तो
३. जब पहली बार इन्होने लॉक डाउन की घोसणा  की तभी इन्हे चाहिए था मजदूरों और जो जाने वाले है वो बस ट्रैन से अपने घर जा सकते है, इससे ये होता की पहले कर्फ्यू में ही जो की २१ दिनों के लिए था , काफी मजदुर अपने अपने घर अपने पैसो से चले जाते और जो बचते है उनकी संख्या काफी कम होती |
४. केंद्र सरकार ने तो राशन पैसे देने की बात तो कर दी लेकिन ये सुनिश्चित करना प्रदेश सरकार  का काम है, जो सीधे खाते में आने थे वहां तो आ गए लेकिन राशन सब तक पहुंचे इसे सुनिश्चित करना जरुरी था जो की सिविल सोसयटी और पुलिस के भरोसे बहुत हद तक हुआ लेकिन और करने की जरूरत थी
५. अभी जो मजदूरों को अपने अपने प्रदेश भेजने का काम शुरू हुआ है इसमें भी काफी पेंच है आप सारे  काम  सोशल  मीडिया , न्यूज़ के द्वारा ही कर रहे है, इस काम को पुलिस के द्वारा जगह जगह कैंप के द्वारा करना जरूरी है और जो भी वेबसाइट हो वो केंद्र सरकार के द्वारा ही दिया गया हो जिससे हर प्रदेश की अलग अलग वेबसाइट पे जा के एंट्री न करनी पड़े और इस डाटा का इस्तेमाल हर प्रदेश की सरकार करे अपने यहाँ के मजदूरों को बुलाने में(पैसे कौन देगा और कितना इस पर मै  नहीं जाना चाहता ये सरकार दोनों तय करे इसका भार मजदूरों पर न पड़े )
६. जितने भी राष्ट्रीय राज मार्ग है उन पर पुलिस की पेट्रोलिंग के साथ साथ आने वाले मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था पुलिस के द्वारा ही हो और इसके लिए भी प्रदेश सरकार  को एक बजट देना चाहिए |


लोगो को जिनसे उम्मीदे होती है उन्ही की तरफ टकटकी लगाए हुए देखता है, इसीलिए तो भारत में कही भी कुछ भी  होता है तो लोग मोदी को ही दोष देते है, सो जिनसे उम्मीदे होती है उन्हें काम भी उसी तेजी के साथ करना होता है, अब मोदी पास हुए या फेल ये तो वक़्त बताएगा, लेकिन आज भी लोगो का विश्वास और बढ़ा है देश में भी और विदेश में भी " मोदी है तो मुमकिन है "


Saturday, May 9, 2020

एक प्यार भरा सफर

बाते एक अधूरी सी है एक अधूरी कहानी, हुई थी एक मुलाकात जाने अनजाने, न जाना था न पहचाना था, बस था कोई रिश्ता अपना सा, न जाने क्यों शुरू हुई ओ बातो का दौर, कभी जाने का गम और कभी इन्तजार का गम, चलती रही एक शाम से दूसरे शाम, सिलसिला चला और चलता है न जाने कब हमें अपना सा लगता गया ,  बाते थी जो खत्म न होती जो समय था न जाने कब चला जाता, मनाते दिल को कल तक के लीये था मुझे भी इन्तजार था उन्हें भी कल का इन्तजार, चलती रही बाते बढ़ते रहे दिन यू ही , जब तक समझ में आता तब तक बहुत दूर चले गए आज न बाते होती है और न ही मुलकते न जाने क्यों , शायद मेरी गलती शायद उनकी कमाल की बद्दुआ है ग़ालिब, पहचाने से लोग भी अनजान से हो गए , जिंदगी इसी का नाम  है ||

    वो जो सफर था याद रहेगा सदा, आज भी जब दिल में याद सताती है तो वही खिलखिलाता सा चेहरा ठंडक सा दे  जाता है, शायद सफर था ही इतना सा , लेकिन यादें इतनी दे गया शायद कई जन्म कम पड़ जाये उसे जीने में .. !
आज शाम फिर तुम्हारी हसी ने मुझे जगाया, शायद तुम कुछ कहना चाहती थी कुछ गुनगुनाना चाहती थी, एक बार  लगा शायद तुम सपना हो, हाँ वो सपना ही था, सपने भी इतने हसीं होंगे शायद सोचा नहीं था,  फिर सारी  याद पुराने पन्नो की तरह पलटने लगी, और वो खूबसूरत पल फिर से सारी यादे याद दिला गया, तुम हो यही कही हो, मेरी यादों में मेरी आँखों में ........ !

एक अधूरी सी आस अगले जन्म की शायद फिर मुलाकात हो, शायद फिर तुम्हारा साथ हो