Friday, July 5, 2013

भारतीय राजनीति की उचाई


इस समय हमारे देश की राजनीति और राजनीतिक सोच का स्तर इतना गिर चुका है की हम अपने देश के सैनिको, सुरक्षा तंत्र मे लगे लोगो के दिलो पर क्या बीतती होगी ओ भी सोचना भूल गये है | नेताओ को तब क्यों नही दुख होता है जब कोई सैनिक देश के अंदर या बॉर्डर पर शहीद होता है |
      जब माववादियों ने 100 से ज्यादा सैनिक की निर्मम हत्या की थी तब कोई नेता क्यों नही दिखाई दिया था उनके घरो पर | राहुल गाँधी को गुस्सा भी तब आता है जब कोई नेता मारा जाता है, और ओ रात के 2 बजे ही वहा पहुच जाते है लेकिन जब देश का कोई सैनिक मारा जाता है तो ओ दूर दूर तक दिखाई नही देते | राहुल जी क्या तभी दिखाई देते है जब उनका कोई राजनीति सिद्ध हो रहा हो | हमारे नेताओ को तो गुस्सा तब बहुत आता है जब सैनिक शहीद होते है लेकिन ना तो उसके पहले और ना ही उसके बाद उनके लिये कुछ करते हुए दिखाई देते है ! देश मे कभी भी कैसी भी मुसीबत आये सेना ही हमेशा आगे रहती है फिर उनके सात इतना बुरा बर्ताव क्यों किया जाता है | मे मानता हु कभी कभी आतन्कवादी के साथ कुछ बेगुनाह भी मर जाते है लेकिन इसका ए मतलब तो नही की सैनिक इसके लिये दोषी है | कश्मीर मे उनके लोगो के लिये जितना कुछ सेना ने किया है ओ कोई भी राजनेता कभी कभी नही कर सकता |
   अभी जो आपदा आई थी उत्तराखंड मे उस पर भी राजनीति शुरु हो चुकी हे, और होनी भी  चाहिये जब वहं की सरकार को पहले से इस आपदा के बारे मे पता  था तो इस पर पहले से कोई प्लान क्यों नही बनाया और बनाते भी कैसे  उनका तो आधा समय तो सोनिया जी के पास उनका बीतता है,  वहं के लोगो की मदद करने के ब्जाए उनका मजाक उड़ाया जा रा है |
बेघर हुए लोगो को 1 किलो चावल और आटा दे रहे यैसा मैने मीडिया मे देखा, जिन्हे पेट भर अनाज की जरूरत है उन्हे बस इतना ही | बेघर हुए लोगो को 500 रूपए मिल र्हे, और उसका प्रचार करने के लिये लाखों रुपए खर्च कीजिये जा रहे है, ए राजनीति का ओझा पन नही तो क्या है, जो भी आपकी मदद करना चाहता हो उससे आप मदद इसलिये नही ले र्हे है क्योंकि आपको लगता है इससे वोट कम हो जायेंगे कांग्रेस के लेकिन ए कभी नही सोचा की इससे कितने लोगो की जान बच सकती है और उन्हे रहने को घर मिल सकता है | हमारे नेताओ को अब थोड़ी भी शर्म नही बची है ओ हर विपदा को राजनीति से जोड़ लेते है और शुरु हो जाते है एक दूसरे को गाली देने ए नही सोचते की देश उनके बारे मे क्या सोचता है, देश को उनसे क्या उम्मीदे है और ओ क्या कर पा रहे है देश के लिये| हजारो की सांख्या मे लोग मारे है वहा पर लेकिन सरकार के हिसाब से वहा पर सैकडो लोगो ने ही अपनी जान गवाई |   
     अन्ना जी ने जब जनलोकपाल बिल के लिये आन्दोलन शुरु किया था तो सारे नेता बोल र्हे थे जनलोकपाल बिल पास करेंगे, हमारे परधानमांती जी तो बकायदा चिठ्ठी लिख के अन्ना जी को आशसावत् किया था की इस बर हम जरूर आपकी मांग वेल बिल को संसद मे ले के जायेंगे और उसे पास करवायेंगे, लेकिन ना तो उनकी इस पर कोई इच्छा थी और ना ही किसी और की, पिछले 30 सालो से ए बिल यैसे है लटका पड़ा है ना तो किसी को इसकी चिंता है और ना ही कोई इसके बारे मे सोचना चाहता है |
     जिस तरह् से प्रधानमन्त्री जी और सोनिया जी ने फुड सेक्यूरिटी बिल पास क्राने की कोशिश नही पास किया है उसी तरह् से अगर ए जनलोकपाल बिल के बारे मे सोचते तो आज देश की तस्वीर कुछ और ही होती, भ्रस्ट नेता जेल मे होते | लेकिन कैसे पस कराते उनके आधे से ज्यादा नेता तो भ्रस्ट है, तो पर्त्य को कन सँभलता |
इशरत जहां को लेके जितना हल्ला इस समय देश मे मचा हुआ है और उसे एक इनोसेंट साबित करने की कोशिस हो रही उससे कुछ हो या ना हो लेकिन हमारा सुरक्षा तंत्र जरूर कमजोर होगा, फिर कभी उन्हे अगर उन्हे कुछ भी मालूम होगा तो ओ 100 बार सोचेंगे की उस सूचना का इस्तेमाल करे की ना करे |
इशरत इतनी ही बेकसूर थी तो ओ उन आतंकवादियों के साथ क्या कर कर रही थी, उसका नाम लश्कर के वेबसाइट उसे शहीद क्यों मन रहे थे , लोग कहते है की किसी को मरने की आज़ादी किसने दी पुलिस को लेकिन मेरा मानना ए है की कभी कभी यैसे चीजे हो जाती है और ए कोई पहला एनकाउंटर नही है यैसे ना जाने  कितने एनकाउंटर हो चुके है लेकिन जहां राजनीति हावी हो वहा तो कुछ भी हो सकता है |

किसी का बचाव इसलिये नही करना चाहिये क्योंकि ओ एक मुस्लिम है, हमे किसी का भी साथ तब देना चाहिये जब हमे पता हो की ओ सच मे निर्दोस हो |
सुरक्षा विभाग को जो भी जानकारी मिलती है ओ उसको गृहमंत्रालय को भी साझा  भी करते है, तो फिर प्रश्न  केंद्र सरकार सॆ   भी  चाहिये |

  राजनेताओ को चाहिये अपनी गंदी राजनीति मे सुरक्षा मॆ लगॆ  लॊगॊ  और सेना को अपनी गन्दी राजनेति मॆ ना  शामिल करे |