लंदन [स्टीव कोनोर]। अंतरिक्ष से ली गई पृथ्वी की पहली तस्वीर अब से 40 साल पहले इसी सप्ताह प्रकाशित हुई थी। अर्थ राइज-1968 नाम की उस तस्वीर का आकर्षण इतने वर्ष बाद भी कम नहीं हुआ है।
अपोलो-8 नाम के अमेरिकी यान से गए दल के सदस्य ऐसे पहले अंतरिक्ष यात्री थे जो पहली बार पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने में सफल रहे। यह दल गया तो था चांद पर लेकिन अंतरिक्ष से पृथ्वी की खोज करने में ही इसका अभियान समाप्त हो गया। इस दल को हर संभावित परिस्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इसी प्रशिक्षण ने उन्हें अंतरिक्ष से धरती को देखने और उसकी तस्वीर उतारने के लिए प्रेरित किया। उनके द्वारा उतारी गई तस्वीरों को अर्थराइज के नाम से जाना गया। चांद की कक्षा से खींची गई यह तस्वीर हमारे ग्रह के सबसे अलग रूप का दर्शन कराती है। यह तस्वीर वर्ष 1968 में क्रिसमस के मौके पर उतारी गई थी। यही वह तस्वीर थी जिसका बाद में पर्यावरण से संबंधित हजारों अभियानों में इस्तेमाल किया गया। इस तस्वीर ने जनता में जागरूकता फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई। अपोलो-8 अंतरिक्ष यान में फ्रैंक बोरमैन, जिम लोवेल और बिल एंडर्स तीन यात्री थे। इन्हीं लोगों ने चंद्रमा पर जाने का मूल प्रारूप तैयार किया, जिसकी मदद से बाद में चंद्रमा की सतह पर मानव ने कदम रखा। ये तीनों ऐसे अंतरिक्ष यात्री थे जिन्होंने चंद्रमा की कक्षा की परिक्रमा की और उस ओर भी गए जिसे धरती से देखा नहीं जा सकता था। यह दल ऐसा पहला दल भी था जिसका धरती से पूरी तरह संपर्क तब तक टूटा रहा जब तक यान चंद्रमा की दूसरी ओर था। अंतरिक्ष यान जब धरती के सामने की कक्षा में आया तब इस दल से दोबारा संपर्क स्थापित किया जा सका। अर्थराइज नाम की पहली तस्वीर ब्लैक एंड ह्वाइट थी। बाद में रंगीन तस्वीरें उतारी गई। यह तस्वीर जीवन विहीन चंद्रमा की भूरी सतह से बिल्कुल अलग धरती पर उत्साह से परिपूर्ण जीवन को प्रतिबिंबित करने वाली थी।
लंदन [स्टीव कोनोर]। अंतरिक्ष से ली गई पृथ्वी की पहली तस्वीर अब से 40 साल पहले इसी सप्ताह प्रकाशित हुई थी। अर्थ राइज-1968 नाम की उस तस्वीर का आकर्षण इतने वर्ष बाद भी कम नहीं हुआ है।
अपोलो-8 नाम के अमेरिकी यान से गए दल के सदस्य ऐसे पहले अंतरिक्ष यात्री थे जो पहली बार पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने में सफल रहे। यह दल गया तो था चांद पर लेकिन अंतरिक्ष से पृथ्वी की खोज करने में ही इसका अभियान समाप्त हो गया।
इस दल को हर संभावित परिस्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इसी प्रशिक्षण ने उन्हें अंतरिक्ष से धरती को देखने और उसकी तस्वीर उतारने के लिए प्रेरित किया। उनके द्वारा उतारी गई तस्वीरों को अर्थराइज के नाम से जाना गया। चांद की कक्षा से खींची गई यह तस्वीर हमारे ग्रह के सबसे अलग रूप का दर्शन कराती है। यह तस्वीर वर्ष 1968 में क्रिसमस के मौके पर उतारी गई थी।
यही वह तस्वीर थी जिसका बाद में पर्यावरण से संबंधित हजारों अभियानों में इस्तेमाल किया गया। इस तस्वीर ने जनता में जागरूकता फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई। अपोलो-8 अंतरिक्ष यान में फ्रैंक बोरमैन, जिम लोवेल और बिल एंडर्स तीन यात्री थे। इन्हीं लोगों ने चंद्रमा पर जाने का मूल प्रारूप तैयार किया, जिसकी मदद से बाद में चंद्रमा की सतह पर मानव ने कदम रखा। ये तीनों ऐसे अंतरिक्ष यात्री थे जिन्होंने चंद्रमा की कक्षा की परिक्रमा की और उस ओर भी गए जिसे धरती से देखा नहीं जा सकता था। यह दल ऐसा पहला दल भी था जिसका धरती से पूरी तरह संपर्क तब तक टूटा रहा जब तक यान चंद्रमा की दूसरी ओर था।
अंतरिक्ष यान जब धरती के सामने की कक्षा में आया तब इस दल से दोबारा संपर्क स्थापित किया जा सका। अर्थराइज नाम की पहली तस्वीर ब्लैक एंड ह्वाइट थी। बाद में रंगीन तस्वीरें उतारी गई। यह तस्वीर जीवन विहीन चंद्रमा की भूरी सतह से बिल्कुल अलग धरती पर उत्साह से परिपूर्ण जीवन को प्रतिबिंबित करने वाली थी।
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